जिन्दगी अधूरी लगती है.......

>> Sunday, March 26, 2006

जिन्दगी अधूरी लगती है
यह दुनिया, नदिया, झीले, तेरे बिन,
अधूरी लगती है.

बीतते है लम्हे, जब तेरे बिन,
जिन्दगी अधूरी लगती है.

बेह्ता है झरना जब सर-सराहट से,
आवाज उसकी अधूरी लगती है.

लिखता हू जब अपनी कहानी,
लिखावट मेरी अधूरी लगती है.

देखत हू जब चान्द को,
चान्दनी उसकी अधूरी लगती है.

देखत हू जब आईना,
सूरत अपनी अधूरी लगती है.

अब तो आ जा, सब कुच्छ पाकर भी,
यह जिन्दगी बिन तेरे अधूरी लगती है.

गौरव

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